भारत की वो महिला पहलवान, जिसे कोई मर्द हरा नहीं सका

Nicky Yadav

यह बात है 1954 की जब 32 साल की Hamida Banu ने अलीगढ़ के मर्द पहलवानों को चैलेंज करते हुए कहा की जो मुझे दंगल में हर देगा वो मुझे शादी कर सकता है।

इस ऐलान से पहले फरवरी 1954 में वो दो मर्द पहलवान को हरा चुकी थी। ये वो दौर था जब भारत में महिलाओं का कुश्ती लड़ना अपने आप में अजूबा था।

इस दौर में हमीदा बानो ने एक के बाद एक दंगल जीत कर भारत की पहले महिला पेशावर पहलवान होने का किताब अपने नाम किया।

मिर्जापुर में जन्मी हमीदा के माता पिता उनकी पहलवानी के खिलाफ थे। तब वो अपनी दृढ़ सलाम पहलवान के साथ अलीगढ़ आकर रहने लगी।

इस दौरान उन्होंने मर्दों और विदेशी महिलाओं के खिलाफ कहानी दंगल जीते। जिसके चलते उन्हें अलीगढ़ की अमेजॉन के नाम से प्रसिद्ध मिली।

लेकिन जी दिन उन्होंने यूरोप जाकर कुश्ती करने का ऐलान किया वो दिन उनकी जिंदगी में पहलवानी का आखिरी दिन साबित हुआ।

 सलाम पहलवान ने इसके बाद हमीदा को इतना मारा की उनके हाथ पैर तक तोड़ दिए, उन्हें वर्षों तक उन्हें लाठी के सहारे चलना पड़ा।

आखिरी दोनों में हमीदा का जीवन काफी तंगहाली में गुजरा। कभी दूध बेचकर और मकान का किराया से उन्हें कुछ आमदनी हो जाति थी।

मगर एक बात हमेशा रही की पहलवानी में उनसे कोई भी मर्द कभी नहीं जीत सका।