13 अप्रैल को बेरमो के आठ गुरुद्वारों में खालसा सृजन दिवस (बैसाखी) मनाया जाएगा। इस अवसर पर बोकारो थर्मल स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में कार्यक्रम होगा। बैसाखी से पहले 11 अप्रैल से अखंड पाठ का आयोजन किया जा रहा है जो 13 अप्रैल को समाप्त होगा। कार्यक्रम में सबद और कीर्तन किया जाएगा।
अखंड पाठ के बाद गुरु का लंगर भी आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में बोकारो थर्मल के साथ ही कथारा, जारंगडीह, गोमिया, जारंगडीह, जरीडीह बाजार, सुभाष नगर, करगली, और संडे बाजार के गुरुद्वारा सिंह सभा के श्रद्धालु भी शामिल होंगे। सिखों के लिए बैसाखी का त्योहार बहुत खास होता है।
देश के अलग-अलग जगहों में यह पर्व अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे बंगाल में नबा वर्ष, केरल में पूरम विशु, और असम में बिहू के नाम से। सिख समुदाय के लोग बैसाखी को नए साल के रूप में मनाते हैं। किसान अपनी पकी हुई रबी की फसल को देखकर खुश होते हैं और इस दिन को बड़े त्योहार के रूप में मनाते हैं। बैसाखी के दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में विशेष उत्सव मनाते हैं, क्योंकि इस दिन सिख धर्म के 10वें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंहजी ने 13 अप्रैल 1699 में आनंदपुर साहिब में मुगलों के अत्याचारों से मुकाबला के लिए खालसा पंथ की स्थापना की।
इसके साथ ही गोविंद सिंह जी ने गुरुओं की वंशावली को समाप्त कर दिया था। उसके बाद सिख समुदाय के लोगों ने गुरु ग्रंथ साहिब को ही अपना मार्गदर्शन बनाया। बैसाखी पर्व पर कई तरह के पकवान बनते हैं और सिख समुदाय के लोग सुबह गुरुद्वारे जाते हैं। वहाँ गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ और कीर्तन करते हैं।
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