होली का त्यौहार सभी धूमधाम से मानते है |लेकिन आज हम बोकारो के एक ऐसे गांव जहा सेकड़ो वर्षो से हौली नहीं मनाई जाती है , सुनने में अजीब लग रहा होगा लेकिन यही सच आप इसे अन्धविश्वाश कहे या कुछ ओर जी हां होली के दिन इस गांव में सन्नाटा पसरा रहता है | गाववालो से पूछा गया तो उन्होंने बताया की होली मानाने से उनके घर में अनहोनी हो जाती है |
एक बार जब कोई व्यक्ति या समुदाय अन्धविश्वाश के चक्कर में आ जाता है तो उसके कई पीढ़िया भी उस अंधविश्वास में आ जाती है और उससे अन्धविश्वाश को भूलना काफी मुश्किल होता है यदि वे भूलना भी चाहे तो वे उसका डर उसे भूलने नहीं देता | आज एक ऐसा ही एक गांव जहा सेकड़ो वर्षो से हौली नहीं मनाई जाती झारखण्ड के बोकारो जिले के कसमार प्रखंड में भी ऐसा ही एक गांव बसा है दुर्गापुर | यहाँ इस गांव में अज्ञात भय पीढ़ियों से अपना कब्ज़ा बनाये रखे है | जब पूरा देश होली के त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता है तो वही इस गांव में एक दूसरे से दुरी बनाई जाती है |
अन्धविश्वाश ने इस गांव को ऐसे जकड़ा है की ये गांव के लोग 150 वर्षो से होली नहीं मनाते है | दुर्गापुर गांव में 7 हजार से ज्याद की आबादी है यह गांव दुर्गापुर स्थित पहाड़ के तलहटी में बसा है | इस गांव के के कई युवा लोग पढ़कर दूसरे जगह नौकरी करते ही लेकिन अबतक गांव का अंधविश्वास से बाहर नहीं निकल पाते है | वो भी होली के दिन अगर गांव आ जाये तो वे रंग को दूर रखते है |
गांव के बुजुर्गो से इस अन्धविश्वाश के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा की रामगढ़ की रानी के लिए वह एक सैनिक पश्चिम बंगाल के झालदा से साड़ी लेकर इसी गांव के रस्ते रामगढ़ लोट रहे थे | तभी इन सेनिको पर यहाँ के राजा दुर्गा देव प्रसाद की नजर पड़ी तो उन्होंने इन सेनिको को रोककर उनसे साडी लेकर देखने लगे | रामगढ़ के सैनिको ने ऐ बात अपने राजा को बताया | तो रामगढ़ के राजा यह सुनकर आक्रोश में आ गए |
रामगढ़ राजा की सेना ने दुर्गापुर पर चढ़ाई कर दी | इस युद्ध में दुर्गदेव प्रसाद की मृत्यु हो गयी | और यह घटना होली के दिन हुवी थी | इसी घटना के बाद इस गांव में होली न मनाकार अपने राजा का सोक दिवश मानते है | गांव के लोगो की यह मान्यता है की बाबा बडांगाव के रूप में दुर्गापुर पहाड़ पर मौजूद है जो गाववालो की रक्षा करते है |
सबसे खास बात तो यह है की दुर्गापुर गांव को 21वी सदी से यह अन्धविश्वाश इस गांव को जकड़े हुवा है यह गांव किसी कुप्रथा या अन्धविश्वाश से घिरा हुवा है इस ेदुर करने के लिए किसी न किसी को तो आगे आना ही होगा .
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