विश्वास का महोत्सव: चैती छठ नाहाय-खाय के साथ आरंभ

Kumar Anil
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Image Source: Google/Image Edited By Canva

छठी मईया के भक्त अब शुद्ध और विश्वास में दिन निकाल रहे हैं। शुक्रवार को चैती छठ का आयोजन हुआ। व्रती अपनी आस्था और परम्परा के साथ नहाय-खाय कर रहे हैं। इस दिन छठी मईया के गाने भी गाए जा रहे हैं। शनिवार को व्रतियों को खरना का प्रसाद मिलेगा। रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का दिन है। सोमवार को सूर्य उगने के अर्घ्य देने के बाद, छठ का महापर्व समाप्त हो जाएगा।

शुक्रवार को लोग नहाय-खाय के साथ ही लोक आस्था का चार दिवसीय चैती छठ महापर्व मना रहे हैं। व्रतियों ने स्नान करने के बाद अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी बनाकर प्रसाद के रूप में लिया। यह प्रसाद व्रतियों के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों ने भी खाया। घरों में छठी मइया के गीत गाए जा रहे हैं, और धार्मिक गीतों से माहौल भक्तिमय हो गया है |

36 घंटे का निर्जला उपवास, यानी लोहंडा, शनिवार को शुरू होगा। व्रती इस दिन पूरे दिन उपवास करेंगे। शाम को गन्ने के रस में बनी चावल की खीर, दूध, चावल का पीठा, और घी चुपड़ी रोटी का प्रसाद तैयार करेंगे। छठी मइया को अर्पित करने के बाद, व्रती प्रसाद को ग्रहण करेंगे। प्रसाद को उनके स्वजनों के साथ और अन्य लोगों को भी दिया जाएगा। इसके साथ ही, व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा।

शहर के छठ तालाबों की साफ-सफाई का काम अंतिम चरण में है। रविवार की शाम को छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगी। सोमवार को सूर्योदय से पहले ही व्रती नदी या तालाब के पानी में उतरकर सूर्यदेव से दर्शन के लिए प्रार्थना करेंगी। उसके बाद, सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारण किया जाएगा। कुछ छठ पूजा समितियां भी इस कार्य में सक्रिय हैं।

बाजार में छठ पूजा के मौके पर भीड़ बढ़ गई है। प्रसाद रखने के लिए बांस से बनी टोकरी, सूप, लोटा, थाली, गिलास, चावल, लाल सिंदूर, धूप, दीपक, नारियल, फल, नींबू, अदरक, मूली, हल्दी के पौधे, गगरा, गन्ना, और नए वस्त्र जैसे साड़ी, कुर्ता, पजामा आदि की खरीदारी हो रही है। पूजन सामग्री की दुकानों पर भी भीड़ है।

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