2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली-चिमूर लोकसभा सीट पर हाल कुछ सालों में बहुत बदलाव आया है। सुरक्षाबलों ने यहां पर नक्सलियों को बड़ी संख्या में मार गिराया है, जिससे विकास कार्यों में भी तेजी देखी जा रही है। इस बार के चुनाव में यहां के राजनीतिक माहौल और भाजपा एवं कांग्रेस के उम्मीदवारों पर क्या प्रभाव होगा, इस पर जानकारी प्राप्त करें।
मुंबई। Gadchiroli–Chimur Lok Sabha Seat: हाल ही में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में तेलंगाना से आए चार नक्सलियों को महाराष्ट्र पुलिस की सी-60 कमांडो यूनिट ने मार गिराया था। इनके पकड़े जाने पर 36 लाख रुपये का इनाम था। ऐसी बड़ी कार्रवाइयां पिछले 2018 से हो रही हैं।
अप्रैल 2018 में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए गढ़चिरौली में अब तक का सबसे बड़ा एनकाउंटर हुआ था, जिसमें 39 नक्सलियों को मार गिराया गया था। इसमें 20 महिलाएं और 19 पुरुष नक्सलियों शामिल थे। फिर नवंबर 2021 में उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्रित्वकाल में भी गढ़चिरौली की धानोरा तहसील में हुए एक बड़े एनकाउंटर में 26 नक्सलियों को मार गिराया गया।
नक्सलियों का नेता मारा गया था
इस ऑपरेशन की विजय इसमें थी कि एक महत्वपूर्ण नक्सली मिलिंद तेलतुंबड़े को मार गिराया गया, जो क्षेत्र में सर्वोच्च नेता थे। वह पूरे दंडकारण्य का प्रमुख था। इसके अतिरिक्त, कई छोटे आपरेशनों में भी 100 से अधिक नक्सलियों को पिछले दशक में मार गिया गया।
नक्सलियों को खत्म करने के प्रयासों में सरकारों के बदलने का कोई असर नहीं पड़ा। कोई भी सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करती है, क्योंकि राज्य के पुलिस बल को नुकसान हो चुका है।
विकास में बढ़ती रफ्तार
दूसरी ओर, विकास की गति भी तेज हो गई है। इससे स्थानीय वनवासियों को बहुत फायदा हुआ है। कोरोना महामारी के दौरान भी उन्हें सहायता मिली और डर-धमकी का भी अंत हुआ।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने लंबे समय तक गढ़चिरौली के प्रभारी मंत्री का काम किया है। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनकी देखरेख में गढ़चिरौली के विकास में तेजी आई है।
अब लोगों की मदद के लिए पुलिस को आवश्यक जानकारी मिलने लगी है। तकनीकी उपयोग और ड्रोन की सहायता से पुलिस का काम भी बेहतर हो रहा है।
गाँव वालों ने बनाया नक्सलियों का स्मारक
वास्तव में, गढ़चिरौली में जो रास्ता तेलंगाना से छत्तीसगढ़ की ओर जाता है, उसी रास्ते पर नक्सलियों का आना जाना होता है। 19 मार्च को गढ़चिरौली में मारे गए चार नक्सलियों में से कुछ तेलंगाना से छत्तीसगढ़ की ओर ही आ रहे थे।इसका मतलब है कि अब गढ़चिरौली के लोगों में नक्सलवाद की ओर कम रुझान हो रहा है। कुछ घटनाएँ ऐसी भी हुई हैं कि गाँव वालों ने स्वयं नक्सलियों के स्मारक को ढहा दिया।
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