जमीन घोटाले के आरोपी सद्दाम हुसैन का बड़ा स्वीकृतिपत्र, ‘चारदीवारी’ को लेकर ऐसा खुलासा किया गया

Kumar Anil
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बरियातू की 8.86 एकड़ जमीन पूर्व सीएम हेमंत सोरेन से जुड़ी है , उसको हड़पने की कोशिश मामले में गिरफ्तार सद्दाम हुसैन ने ईडी को ये बताया कि बरियातू फायरिंग रेंज के पास की जमीन की उसने फर्जी डीड बनाई और उस जमीन की चारदीवारी के लिए उसने सेना से अनुमति को लेकर पत्राचार किया था। हालांकि सेना से उसे अनुमति नहीं मिली थी।

पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़ी बरियातू की 8.86 एकड़ जमीन हड़पने की कोशिश में गिरफ्तार बरियातू के सद्दाम हुसैन से ईडी ने लगातार तीसरे दिन भी रिमांड पर लंबी पूछताछ की। शुक्रवार को सद्दाम हुसैन की रिमांड की अवधि समाप्त होगी।

रिमांड पर सद्दाम ने माना कि उसने बरियातू फायरिंग रेंज के पास की जमीन के लिए फर्जी डीड बनाई और उस जमीन की चारदीवारी के लिए सेना से अनुमति के लिए पत्राचार किया। लेकिन, सेना ने उसे अनुमति नहीं दी थी।

ईडी ने सद्दाम हुसैन के माध्यम से सेना को भेजे गए पत्राचार की कॉपी को सबूत के लिए एकत्रित कर लिया है। सद्दाम ने ईडी को बताया है कि फर्जी डीड बनाने में उसे अफसर अली उर्फ अफ्सू की मदद मिली थी, साथ ही मूल दस्तावेजों को उपलब्ध कराने से लेकर फर्जी डीड बनवाने तक के काम में बड़गाईं अंचल के तत्कालीन राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद और अन्य लोग शामिल थे।

कुछ लोग रांची के होटवार में स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं। बरियातू रोड की 12 प्लाट में से 8.86 एकड़ जमीन के मूल दस्तावेज में गड़बड़ी की तैयारी थी, जिसमें सद्दाम हुसैन ने दो प्लाट की 1940 और 1947 की फर्जी डीड बनवाई थी।

स्टेशन कमांडर को संबोधित करते हुए लिखा गया पत्र

बरियातू फायरिंग रेंज के पास की जमीन सद्दाम ने चारदीवारी पर करवाने के लिए स्टेशन कमांडर भारतीय सेना दीपाटोली से पत्राचार किया था।

पत्र में उसने बताया कि बड़गाईं मौजा के सदर थाना क्षेत्र में असगर हुसैन की खरीदी हुई भूमि खाता नंबर 234, प्लाट नंबर 1055, कुल रकबा 11 डिसमिल जमीन है।

इस जमीन को असगर हुसैन ने बलका पाहन से 1940 में रजिस्टर्ड पट्टा से खरीदा था। इसका बुक नंबर 1, वाल्यूम नंबर 80, पेज नंबर 297 से 298 और डीड नंबर 3985 है जो रजिस्ट्रार आफ एश्योरेंश कोलकाता से सम्बंधित है।

उसने यह भी बताया कि पट्टाधारी असगर हुसैन अपने पीछे एक मात्र पुत्र उत्तराधिकारी नवाब हुसैन को छोड़कर स्वर्गवासी हो गए।नवाब हुसैन ने उक्त जमीन का एकरानामा उनके नाम पर किया है। उक्त भूमि सेना की जमीन से सटी हुई है, इसलिए उन्हें उक्त जमीन पर चारदीवारी की अनुमति दें।

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