जी हां रिसर्च करने के लिए कर दिया जीवन का देह दान अर्थात | किसी उत्तम कार्य के लिए अपना जीवन ही दे देना | डॉ अरुण मिश्रा कोडरमा के कैंसर के मरीजों के लिए उसके द्वारा लिखी गयी पुस्तक संकट मोचन का काम कर रही है |
आपने कैंसर जैसे खतरनाक बीमारी के बारे में सुना ही होगा ये काफी खतरनाक बीमारी है जिससे बचना आसान नहीं है |लेकिन ऐसे कई लोग है जिन्होंने हिम्मत न हारकर मौत को टक्कर दिया है | यानि हिम्मत और जज्बे से कैंसर को हराया है | डॉ अरुण मिश्रा जो कैंसर सर्वाइवर है खुद पर बीती तकलीफो को दुसरो पर नहीं बीतने के लिए वह दुसरो का मार्गदर्शन करते है |
डुमरी तिलिया के देवी मंडप रोड निवासी डॉ अरुण मिश्रा ने 18 लोकल से विशेष बातचीत करने से पता चला की उनके पिता और उनकी दो बड़ी बहनो की मृत्यु कैंसर जैसे खतरनाक बीमारी से हो चुकी है | उन्होंने कैंसर से बचने के लिए रिसर्च किया और एक पुस्तक लिखा जिसका नाम उन्होंने ‘ थेंक्यु कैंसर ‘ रखा |
जिसको कैंसर हुवा है उसको ‘ थेंक्यु कैंसर ‘ पुस्तक में लिखी सामग्री विपरीत परिस्थितयो में जो log कैंसर से पीड़ित है और वे अपनी जिंदगी से हार मन चुके है उनके लिए ये पुस्तक हौसला बढाने का कार्य करती है और उनके अंदर सकारात्मक ऊर्जा भर देती है |
देश के बड़े कैंसर हॉस्पिटल टाटा में मोरयल हॉस्पिटल मुंबई ने अकेले 650 किताबे मंगाई और ऐसे मरीज को पढ़ने के लिए दिया ,मरीजो को किताब पढ़ने के बाद उसके भीतर सकारात्मक सोच और सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हुवी और मरीज का रिकवती रेट भी तेजी से बढ़ रहा है |
बलबीर दत्त ने ‘तुम’ पुस्तक का किया विमोचन
इन्होने बताया की कैंसर का पता चलने के बाद फर्स्ट स्टेज में ही लोग हार मान लेते है | लेकिन हमें कैंसर से हारना नहीं है बल्कि इससे लड़के जीत हाशिल करनी है | हाल ही में पद्मश्री बलबीर दत ने कैंसर से बचने के लिए ‘ तुम ‘ पुस्तक लिखा जो मरीजों को कैंसर से लड़ने में संकट मोचन का काम करता है | उन्होंने बताया की इस पुस्तक में 66 कविता है | जो कैंसर से पीड़ित है उसको कैंसर से लड़ने का शक्ति प्रदान करता है | यह पुस्तक ऑनलाइन ऐमज़ॉन और फ्लिपकार्ट पर अवेलेबल है |
युवाओं से रक्तदान करने की अपील
डॉ अरुण मिश्रा ने बताया की वे युवावस्था में रक्तदान करने में आगे रहते थे | सरीर में प्रोस्टेट कैंसर डिटेक्ट होने के बाद भी अधिकतर समय शिक्षण संस्थाओ में मोटिवेशनल स्पीकर और घर के बगीचो में बीतता है | उन्होंने 20 से ज्यादा प्रकार के फूलो का बगीचा तैयार किया है |इन्होने रक्तदान के लिए सहमति जताई है इन्होने कहा की रक्तदान करने से सरीर स्वच्छ रहती है और नयी कोशिकाएं बनती है |
मृत्यु के बाद शरीर पर मेडिकल साइंस करेगा रिसर्च
डॉ. अरुण मिश्रा ने बताया कि डॉक्टरों की टीम ने उन्हें 60 प्रश्नों की एक सूची देकर उनसे जवाब मांगा था. जिसमें कम समय में कैंसर से रिकवरी और दिनचर्या से जुड़े सवाल शामिल थे. उन्होंने कैंसर पर रिसर्च करने वाले चिकित्सकों के लिए अपने पूरे शरीर को दान कर दिया है.
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