धनबाद: झारखंड के पूर्व ऊर्जा मंत्री लालचंद महतो (72 साल) की मौत गुरुवार की रात उनके लालपुर में हो गई। उनके भाई इंद्रदेव महतो ने बताया कि उनकी तबियत पिछले कुछ दिनों से बिगड़ी हुई थी। गुरुवार की रात 11 बजे वे अपने फ्लैट के बाथरूम में गिर गए और बेहोश हो गए।
परिजनों ने उन्हें लालपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में ले जाया, जहां उनकी मौत हो गई। लालचंद महतो ने गिरिडीह के डुमरी विधानसभा क्षेत्र का तीन बार प्रतिनिधित्व किया था। वे झारखंड के पहले ऊर्जा मंत्री भी रहे थे। उनकी मौत की खबर सुनते ही उनके आवास पर मातम छा गया और परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया।
महतो पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। उनका शरीर शुक्रवार को रांची से पहले डुमरी पहुंचाया जाएगा। फिर उनके आवास को बेरमो के वैदकारों ले जाया जाएगा। अंतिम संस्कार परिजनों के आने के बाद शुक्रवार की देर शाम को होगी। बताया जा रहा है कि 31 मार्च को तेरहपंथी कोठी में हिंद मजदूर किसान यूनियन के सम्मेलन में लालचंद महतो को गिरिडीह लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया गया था। उनका धनबाद से गहरा लगाव था।
भारतीय जनसंघ द्वारा राजनीति की आरंभिक शुरुआत
युवावस्था में लालचंद महतो ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर भारतीय जनसंघ से राजनीति की शुरुआत की। उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण से प्रभावित होकर समाजवादी विचारधारा की ओर मोड़ लिया था।
लालचंद महतो की राजनीतिक यात्रा
- 1977 में वे जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते।
- 1990 में फिर से जनता दल के टिकट पर विजयी हुए।
- 2000 में उन्होंने जनता दल यू से विधानसभा में प्रवेश किया।
दुखित परिवार से मिलने गई मंत्री बेबी देवी
झारखंड के पहले ऊर्जा मंत्री लालचंद महतो का निधन गुरुवार रात को उनके रांची में स्थित अमरावती अपार्टमेंट लालपुर में हो गया। जानकारी मिलने के बाद सुबे की मंत्री बेबी देवी सहित कई नेता उनके रांची में पहुंचे और दुखित परिवार का साथ दिया। बेबी देवी ने कहा कि वह अपने एक अभिभावक को खो दिया है। शुक्रवार को सुबह 9 बजे उनकी शव रांची से शुरू होकर डुमरी ले जाया जाएगा, जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। फिर उनके शव को उनके बेरमो के बैदकारों के आवास लाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस दौरान उनके घर पर भी लोगों की भीड़ जमी, और सभी उनकी मृत्यु के दुख में भाग ले रहे थे। वे बहुत ही मिलनसार व्यक्ति थे और समस्याओं का निदान करने के लिए तुरंत काम करते थे।
उनके पास जो भी व्यक्ति कार्य हेतु आता था, वह तत्काल उसका समाधान करने का प्रयास करते थे। उन्हें संबंधित अधिकारियों से तुरंत बात करके समस्या का निदान करने का काम करते थे।
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